तुम जानती हो न,
तुमसे बातें करना मुझे कितना सुकून देता है...
शायद तुम्हें याद न हो वो पहली मुलाकात,
मगर मेरे लिए वो पल
आज भी दिल में किसी गुलाब की तरह महकता है —
**तुम जानती हो न...**
शायद तुम भूल गई हो वो मासूम से जवाब,
जो तुमने मेरी उलझनों को मुस्कुराकर दिए थे,
पर वो पल अब भी
मेरे ख्यालों में जुगनुओं-सा टिमटिमाता है
**तुम जानती हो न...**
तुमने शायद भुला दिए होंगे वो ख़ामोश वादे,
जो लफ़्ज़ों से नहीं,
नज़रों से कहे गए थे कभी,
पर उन्हें सोचकर आज भी
ये दिल थोड़ा बेवजह मुस्कुरा देता है
**तुम जानती हो न...**
शायद किस्मत में तुम मेरी नहीं थी,
पर दुआओं में आज भी
हर जनम के लिए सिर्फ़ तुम ही होती हो...
*तुम जानती हो न,*
तुमसे बातें करना मुझे कितना अच्छा लगता है
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