Tuesday, 24 June 2025

तुम जानती हो न

 तुम जानती हो न,

तुमसे बातें करना मुझे कितना सुकून देता है...


शायद तुम्हें याद न हो वो पहली मुलाकात,

मगर मेरे लिए वो पल

आज भी दिल में किसी गुलाब की तरह महकता है —


**तुम जानती हो न...**


शायद तुम भूल गई हो वो मासूम से जवाब,

जो तुमने मेरी उलझनों को मुस्कुराकर दिए थे,

पर वो पल अब भी

मेरे ख्यालों में जुगनुओं-सा टिमटिमाता है 


**तुम जानती हो न...**


तुमने शायद भुला दिए होंगे वो ख़ामोश वादे,

जो लफ़्ज़ों से नहीं,

नज़रों से कहे गए थे कभी,

पर उन्हें सोचकर आज भी

ये दिल थोड़ा बेवजह मुस्कुरा देता है


**तुम जानती हो न...**


शायद किस्मत में तुम मेरी नहीं थी,

पर दुआओं में आज भी

हर जनम के लिए सिर्फ़ तुम ही होती हो...


*तुम जानती हो न,*

तुमसे बातें करना मुझे कितना अच्छा लगता है